Thursday, April 17, 2014

श्री रामचन्द्र जी की आरती





श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणम् ।
नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणम् ।।
कन्दर्प अगणित अमित छवि, नवनील नीरज सुन्दरम् ।
पट पीत मानहुंतडित रुचि शुचि, नौमि जनक सुतावरम् ।।
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव, दैत्य-वंश निकन्दनम् ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशल, चन्द दशरथ नन्दनम् ।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारू, उदार अंग विभूषणम् ।
आजानुभुज शर-चाप धर, संग्राम-जित खरदूषणम् ।।
इति वदति तुलसीदास शंकर, शोष मुनिमन रंजनम् ।

मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम् ।।

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