ॐ जय गौरी नंदन, प्रभु जय गौरी नंदन
गणपति विघ्न निकंदन, मंगल निःस्पंदन || ॐ जय ||
ऋद्धि सिद्धियाँ जिनके, नित ही चंवर करे
करिवर मुख सुखकारक, गणपति विघ्न हरे || ॐ जय ||
देवगणों में पहले तव
पूजा होती
तब मुख छवि भक्तो के
निदारिद खोती || ॐ जय ||
गुड़ का भोग लगत हैं
कर मोदक सोहे
ऋद्धि सिद्धि सह-शोभित, त्रिभुवन मन मोहै || ॐ जय ||
लंबोदर भय हारी, भक्तो के त्राता
मातृ-भक्त हो तुम्ही, वाँछित फल दाता || ॐ जय ||
मूषक वाहन राजत, कनक छत्रधारी
विघ्नारण्यदवानल, शुभ मंगलकारी || ॐ जय ||
धरणीधर कृत आरती गणपति
की गावे
सुख संपत्ति युक्त
होकर वह वांछित पावे || ॐ जय ||
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