आरती श्री गायत्री जी की l
ज्ञान दीप और श्रद्धा की बाती l सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की ll
आरती….
मानस की शुची था ला के ऊपर l देवी की ज्योति जगै, जहं निकी ll
आरती….
शुद्ध मनिरथ के जहां घंटा l बाजै करै पूरी आसहु ही की ll
आरती….
जाके समक्ष हमें तिहु लोक कै l गद्धी मिलै तबहूं लगे फीकी ll
आरती….
संकट आवै न पास कबौ तिन्हे l सम्पदा औ सुख की बने लिकी ll
आरती….
आरती प्रेम सो नेम सों करि l ध्यावहिं मूर्ति ब्रम्हा लाली की ll
आरती….
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