।। पुजा के बारह
फूल।।
डर हुए को अभय दान
दो भुखे को अनाज का दान।
प्यासे को जलदान
करो, अपमानित का आदर सम्मान।।
विद्यादान करो अनपढ
को, विपद ग्रस्त को आश्रय दान।
वस्त्रहीन को
वस्त्रदान दो, रोगी को औषध का दान।।
धर्म रहित को धर्म सिखाओ, शोका तुर कोधीरज दान।
भूले को सन्मार्ग बतादो, गृह विहिन को दो गृहदान।।
करो सभी निस्वार्थ भावसे, मन मे कभी ना हो अभिमान।
अपने सम सबही को माना, फिर किस पर किसका अहसान।।
यन बारह पुण्योँ से, प्रभु का करता जो अर्चन ओ ध्यान।।
हो निश्काम प्रेम युत, उसको मिलते है भगवान।।
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